गैंग रेप: एक आरोपी को मिल सकती है सिर्फ 2 साल की सजा
 नई दिल्ली। पूरे देश को हिला देने वाले दिल्ली 
गैंगरेप केस की सुनवाई गुरुवार से दिल्ली की फास्ट ट्रैक अदालत में शुरू होने जा 
रही है, लेकिन सवाल एक आरोपी पर उठ रहे हैं। गैंगरेप के आरोपियों में एक नाबालिग 
है, जो नाबालिग की आड़ में सख्त सजा से बच सकता है। पुलिस सूत्र कह रहे हैं कि ये 
आरोपी पीड़ित लड़़की के बलात्कार और टॉर्चर में सबसे आगे था फिर भी उसे सिर्फ 2 साल 
के लिए बाल सुधार गृह में रहने की सजा मिल सकती है।
नई दिल्ली। पूरे देश को हिला देने वाले दिल्ली 
गैंगरेप केस की सुनवाई गुरुवार से दिल्ली की फास्ट ट्रैक अदालत में शुरू होने जा 
रही है, लेकिन सवाल एक आरोपी पर उठ रहे हैं। गैंगरेप के आरोपियों में एक नाबालिग 
है, जो नाबालिग की आड़ में सख्त सजा से बच सकता है। पुलिस सूत्र कह रहे हैं कि ये 
आरोपी पीड़ित लड़़की के बलात्कार और टॉर्चर में सबसे आगे था फिर भी उसे सिर्फ 2 साल 
के लिए बाल सुधार गृह में रहने की सजा मिल सकती है। 
आरोपी का दावा है कि उसकी उम्र है 17 साल 9 महीना है। वो 
18 साल से कम है और बलात्कार या कत्ल के मामलों में किसी नाबालिग को अधिकतम 3 साल 
की सजा हो सकती है। और अगर उसकी उम्र 17 साल से अधिक और 18 से कम है तो उसे अधिकतम 
2 साल तक बाल सुधार गृह भेजा जा सकता है। नाबालिग को वैसे भी जेल नहीं भेजा जा 
सकता। हालांकि, पुलिस सूत्रों का कहना है कि 23 साल की बहादुर लड़की को चलती बस में 
सामूहिक बलात्कार और फिर लोहे की जंग लगी रॉड से यौन शोषण और टॉर्चर करने में इस 
नाबालिग ने ही सबसे अहम रोल निभाया। उसी ने बर्बरता की सारी हदें लांघीं। सूत्रों 
का साफ कहना है कि ये वो इंसान है जो भले ही नाबालिग हो लेकिन उसने काम राक्षसों का 
किया। लड़की को टॉर्चर करने का सबसे जघन्य अपराध उसके सिर है। इतना ही नहीं सूत्रों 
का तो यहां तक दावा है कि इस बहादुर लड़की की मौत का सबसे बड़ा जिम्मेदार ये लड़़का 
ही है। 
सूत्रों के मुताबिक जांच में पुलिस को पता चला है कि खुद 
को नाबालिग बताने वाले इस लड़के ने गैंग रेप के दौरान बहादुर लड़की पर बेतरह जुल्म 
ढाए। सूत्रों का कहना है कि इस लड़के ने ही दो बार बड़ी बेरहमी से लड़की से 
बलात्कार किया। उसकी वहशियाना हरकतों की वजह से ही छात्रा की आंतें तक बाहर आ गईं 
थीं।
ये बहादुर लड़की जूझ रही थी, बचने के लिए आरोपियों को 
दांत से काट रही थी, लात मार रही थी लेकिन शायद उसने भी इस बात की कल्पना नहीं की 
थी कि लोहे की जंग लगी रॉड के इस्तेमाल से उसके साथ भयानक टॉर्चर होगा। लड़की की 
आंतों को भारी नुकसान पहुंचने की वजह से ही उसकी हालत इस कदर बिगड़ी। उसे कई ऑपरेशन 
से गुजरना पड़ा और आखिरकार डॉक्टरों को उसकी आंतें ही काटकर बाहर निकालनी पड़ीं। 
पूरे शरीर में इंफेक्शन फैल गया। उसे सिंगापुर इलाज के लिए ले जाया गया, लेकिन खुद 
को नाबालिग बताने वाले उस बर्बर और राक्षसी आरोपी की बर्बरता के आगे दवा और दुआ फेल 
हो गई और दर्द से लड़ते हुए पीड़ित ने दम तोड़ दिय़ा।
जाहिर है बलात्कार को लेकर मौजूदा कानून या भारतीय दंड 
संहिता यानि आईपीसी भी 18 साल से कम उम्र में किए गए अपराध को बाल अपराध मानता है 
और अधिकतम तीन साल की सजा के साथ आरोपी को बाल सुधार गृह भेज देता है। तो क्या पूरे 
देश में हलचल मचाने वाले इस बर्बर गैंगरेप और हत्या के केस में एक आरोपी को ये 
फायदा मिलेगा?
पीड़ित के पिता ने आईबीए7 से बातचीत में बालिग और 
नाबालिग का भेद मिटाने की अपील की। उन्होंने कहा कि बलात्कारी सिर्फ बलात्कारी है 
और उसे सख्त सजा दी जानी चाहिए। उनको तो सिर्फ फांसी के अलावा कोई रास्ता नहीं होना 
चाहिए। उन्हें तो सिर्फ फांसी ही देनी चाहिए...एक बात अपनी तरफ से कहेंगे...जो 
बालिग और नाबालिग का चक्कर है उस पर ध्यान देना चाहिए...नाबालिग ही ज्यादातर गलत 
काम कर जानते हैं कि बच जाएंगे हम तो...वो नहीं बचें तो आने वाली पीढ़ी के लिए 
अच्छा रहेगा...कि कोई बालिग है कोई नाबालिग...नाबालिग काम करके निकल जाए और बालिग 
फंस जाए ये तो गलत बात होगी।
तो क्या मौजूदा भारतीय कानून बलात्कार या महिलाओं के 
खिलाफ अपराध को लेकर संवेदनशील नहीं है। आखिर क्यों 18 साल से कम उम्र को नाबालिग 
माना जाता है। लेकिन 15 साल की उम्र में अगर किसी लड़की की शादी हो जाती है तो उसके 
पति के खिलाफ बलात्कार का केस नहीं चलाया जा सकता, कायदे से तो 15 साल की बच्ची 
नाबालिग है और उसके साथ शारीरिक संबंध उसकी मर्जी या उसकी मर्जी के खिलाफ बलात्कार 
की ही श्रेणी में आना चाहिए। कानून की इसी ऊंच नीच और अपराधियों के बढ़ते हौसले के 
खिलाफ जमाक्रोश देश ने हाल में सड़कों पर देखा है। 
